
प्रगनाननंदा आठ साल की उम्र में विश्व विजेता बने थे और पहली बार चर्चा में आए। 10 साल की उम्र में भी उन्होंने अपने वर्ग में खिताब जीता और 12 साल की उम्र में ग्रैंड मास्टर की उपाधि हासिल कर इतिहास रच दिया।
शतरंज विश्व कप के फाइनल में भले ही Praggnanandhaa को हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन हार के बावजूद वह लाखों नए फैंस बनाने में कामयाब रहे हैं। वह सबसे कम उम्र के शतरंज विश्व कप उपविजेता बने हैं। 18 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को फाइनल में कांटे की टक्कर दी। कार्लसन उम्र में प्रगनाननंदा से लगभग दो गुने हैं।
कहावत है कि पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं और प्रगनाननंदा के साथ भी ऐसा ही हुआ। वह आठ साल की उम्र से ही शतरंज की दुनिया में धमाल मचा रहे हैं और अब उन्हें भारतीय शतरंज का भविष्य माना जा रहा है।
प्रगनाननंदा को इस बात की भी खुशी है कि इस टूर्नामेंट चार भारतीय खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंचे। वह कहते हैं कि भारतीय खिलाड़ी इस वक्त विश्व शतरंज में अच्छा कर रहे हैं। डी गुकेश तो विश्व के शीर्ष 10 में पहुंच चुके हैं। उनकी भी कोशिश रहेगी कि वह जल्द से जल्द शीर्ष 10 में जगह बनाएं। प्रगनाननंदा ने अर्जुन एरीगेसी के बारे में कहा कि उनमें भी काफी आगे तक जाने की क्षमता है।
World Chess : प्रगनाननंदा-कारुआना के बीच दूसरी बाजी भी रही ड्रॉ
18 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को फाइनल में कांटे की टक्कर दी।
Praggnanandhaa कहते हैं कि विश्वकप के फाइनल में पहुंचकर कैंडिडेट्स के लिए क्वालिफाई करना उनके लिए सपने के सच होने जैसा है। विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व चैंपियन को चुनौती देने वाले का फैसला करने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में खेलना उनके लिए चुनौती होगी। यह टूर्नामेंट अगले वर्ष है और वह अभी से इसकी तैयारी में जुट जाएंगे।
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